डार्क वेब, जहा छुपा है इंटरनेट की अँधेरी दुनिया का रहस्य। इंटरनेट की दुनिया का कला सच जानने के लिए आपको डार्क वेब का रहस्य जानना होगा, लेकिन उससे भी पहले आपको डीप वेब और सरफेस वेब को समझना होगा। तब आपको डार्क वेब जयदा अच्छे से समझ में आएगा।
क्या आपने कभी इंटरनेट के अंडरवर्ल्ड के बारे में सुना है? अगर नहीं तो आज हम इस आर्टिकल में उसी बारे में बात करने वाले है।
डार्क वेब क्या है?

इंटरनेट दो टाइप का होता है। पहला होता है सरफेस वेब जो हम लोग (आप और मैं) इस्तेमाल करते है और दूसरा होता है डार्क वेब जो हैकर्स इस्तेमाल करते है। डार्क वेब को समझने के लिए आपको पहले सरफेस वेब और डीप वेब को समझना होगा ताकि डार्क वेब को अच्छे से समझ सके।
सरफेस वेब:
Google, Yahoo, Bing, Gmail, Facebook, Twitter, इत्यादि जो कुछ भी आप अपने वेब ब्राउज़र पर इस्तेमाल करते है या सर्च इंजन पर सर्च करते है वो सब सरफेस वेब कहलाता है। ये वो होता है जो बिलकुल लीगल है और इसे इस्तेमाल करने में कोई पाबन्दी नहीं है।
जैसा की हमे पता है अब इंटरनेट एक दुनिया बन चूका है और हम इसका केवल 5% ही इस्तेमाल करते है। कहने का मतलब ये है की जो कुछ भी आप अपने ब्राउज़र (गूगल क्रोम, मोज़िला फायरफॉक्स, सफारी, ओपेरा, इत्यादि) पर इस्तेमाल करते है वो बस पुरे इंटरनेट का 5% ही है।
ठीक उसी तरह से जैसे की हमारे इंसानी दिमाग की क्षमता हमारी सोच से काफी ज्यादा है लेकिन हम उसका 5-10% ही इस्तेमाल कर पाते है। बाकि 95% इंटरनेट के बारे में तो हम शायद जानते भी नहीं है।
हम किसी भी वेबसाइट को तभी एक्सेस कर सकते है जब कोई हमें उस वेबसाइट के बारे में बता दे या उसकी लिंक हमें देदे। सर्च इंजन को भी किसी वेबसाइट के बारे में तभी पता चलता है और हमारे सर्च करने पर वो वेबसाइट को हमे सर्च रिजल्ट में दिखा देता है।
अब गूगल, याहू, बिंग या फिर किसी भी सर्च इंजन को ये कैसे पता चलता है की जिस तरह की वेबसाइट हम ढूंढ रहे वो इंटरने पर मौजूद है भी या नहीं?
सभी सर्च इंजन हमें केवल वही वेबसाइट या पेज दिखाते है जो उनमे इंडेक्स किया हुआ होता है। यानि की अगर कोई वेबसाइट या पेज सर्च इंजन में इंडेक्स नहीं होगी या उस वेबसाइट के मालिक ने उसे इंडेक्स करने से सर्च इंजन को मना कर दिया होगा तो वो वेबसाइट आपको गूगल या किसी भी दूसरे सर्च इंजन पर ढूंढेंगे तब भी नहीं मिलेगी।
डीप वेब:
डीप वेब में ऐसे लिंक्स या वेबसाइट आते जो आपको गूगल या किसी भी सर्च इंजन पर नहीं मिलेंगे लेकिन फिर भी वो इंटरनेट पर मौजूद है। अगर वेबसाइट का मालिक गूगल को माना कर देगा की इस लिंक या साइट को इंडेक्स मत करो, तो गूगल उसे इंडेक्स नहीं करेगा।
ये बैंक, सरकार, मिलिट्री, स्कूल, कॉलेज या फिर किसी आर्गेनाइजेशन की वेबसाइट या उनकी साइट की कोई भी लिंक हो सकता है।
इस तरह की वेबसाइट या लिंक्स को उस आर्गेनाइजेशन का कर्मचारी ही एक्सेस कर सकता है या फिर जिस व्यक्ति के पास वो लिंक होगी वही एक्सेस कर पाएगा।
क्युकी ये लोग नहीं चाहते है की सभी लोगो को इस तरह की वेबसाइट या लिंक के बारे में पता चले। इस तरह की लिंक में उस आर्गेनाइजेशन की कोई भी ख़ुफ़िया जानकारी या फाइल हो सकती है जो वो किसी को बताना नहीं चाहती है।
उदाहरण के लिए, अगर मैं www.taknikigyan.in/secret नाम से कोई पेज बना दू और गूगल को इसे इंडेक्स करने से मन कर दू तो वो कभी भी सर्च करने पर इस पेज को नहीं दिखाए, लेकिन मेरी साइट केबाकि पोस्ट और पेज को दिखाता रहेगा। क्युकी मैंने केवल इस एक पेज को दिखाने से किया है और ना ही वो मेरी साइट या ब्लॉग पर आपको दिखेगा जब तक की मैं खुद उसे ना जोडू किसी मेनू या पेज में। उस लिंक को वही एक्सेस कर पाएगा जिसे मैंने डायरेक्ट लिंक शेयर की है।
डार्क वेब:
अब बात करते है डार्क वेब के बारे में जिसके बारे में आपको डराया जाएगा। सब बोलेंगे की डार्क वेब मत इस्तेमाल करना, वहाँ पर मत जाना बहुत खतरनाक है। देखा जाए तो ऐसा है भी और नहीं भी।
डार्क वेब इंटरनेट की एक ऐसी दुनिया है जहा पर सभी तरह के गैर क़ानूनी काम होते है। जैसे की तस्करी, हथियारो और ड्रग्स को बेचना, पोर्नोग्राफी, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, लाइव मर्डर, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डुबलीकेट कॉपी बनाना, हैकर्स को किराए पर लेने, इत्यादि जैसे काम किये जाते है।
डार्क वेब पर किसी भी तरह का कोई नियम नहीं होता है और सभी ट्रांसक्शन बिटकॉइन या दूसरी क्रिप्टोकरन्सी में किये जाते है।
इसीलिए इसे इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड भी कहा जाता है। डार्क वेब को डार्कनेट वेबसाइट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर हम कुछ भी खरीद और बेच सकते है। इसे हम नार्मल ब्राउज़र (Google Chrome, Mozilla Firefox, Safari, Opera, इत्यादि) से एक्सेस नहीं कर सकते।
डार्क वेब को एक्सेस करने के स्पेशल ब्राउज़र आता है जिसका नाम है TOR (The Onion Router)। क्यूंकि डार्क वेब की साइट आपको कही पर भी नहीं मिलेगी ना ही गूगल पर और ना ही उसे अपने ब्राउज़र एक्सेस कर पाएंगे।
गूगल, फेसबुक, या दूसरे ब्राउज़र और वेबसाइट को पता होता है की हम क्या कर रहे है और कौन सी साइट खोली है लेकिन TOR Browser पर हम जो कुछ काम करते है उस बारे में किसी को भी पता नहीं चलता है। कोई भी ट्रैक नहीं कर पता है की कौन है और क्या काम कर रहा है।
अब जब कभी भी कोई वेबसाइट खोलते हो तो उसका डोमेन .com, .in, .net, .org, इत्यादि होता है लेकिन एक और डोमेन भी होता है जिसका एक्सटेंशन .onion होता है। ये केवल TOR Browser पर ही खुलेगा।
अब जबकि .onion केवल TOR Browser पर ही खुलेगी तो ये एक तरह से प्राइवेट साइट हो गई। अब ये प्राइवेट है तो इसे कोई ट्रैक भी नहीं कर पाएगा और इसीलिए आपने सभी कामो के लिए हैकर ज्यादातर .onion डोमेन का इस्तेमाल करते है। क्यूंकि ये किसी को पता नहीं चलता की इस साइट का मालिक कौन है और क्या काम हो रहा है।
डार्क वेब को एक्सेस करने से मना क्यों किया जाता है?
जैसा की ऊपर बताया है की डार्क वेब में सभी साइट .onion डोमेन में होती है जिसे कोई ट्रैक नहीं कर सकता और इसी वजह से ये पता नहीं चल पाता है की कौन उसका मालिक है। इसलिए आपको बोला जाता होगा की डार्क वेब एक्सेस मत करो फस जाओगे।
ऐसा कहना सही भी है क्यूंकि आपको नहीं पता की जिस वेबसाइट को आप एक्सेस कर रहे हो क्या पता वो आपको ही ट्रैक कर रही हो या आपके कंप्यूटर में किसी तरह का वायरस या मैलवेयर इनस्टॉल कर दे और आपको पता भी ना चले। हो सकता है की आपके सिस्टम को हैक करके हैकर उसका गलत इस्तेमाल करे। जिससे ट्रैक करने पर जब पता चलेगा की IP एड्रेस और कंप्यूटर का MAC एड्रेस आपका है तो पुलिस आप ही के घर पर आएगी।
इसीलिए चाहे कुछ भी हो जाए कभी भी अपनी Facebook, Gmail, Bank Account, या किसी भी इम्पोर्टेन्ट अकाउंट को TOR पर एक्सेस मत करना। कब कौन सा सर्वर आपकी लॉगिन डिटेल चुरा ले, हमे नहीं पता।
इसलिए आपको इल्लीगल वेबसाइट को देखने या एक्सेस करने के लिए माना किया जाता है। किसी को नहीं पता की वहाँ पर कब क्या हो जाए। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की TOR का इस्तेमाल करना गैर क़ानूनी है, ये पूरी तरह से लीगल है और आप इसका इस्तेमाल कर सकते है।
इसलिए मेरी भी सलाह यही है की जितनी भी .onion डोमेन वाली साइट है उसे विजिट ना करे क्युकी गूगल क्रोम इस तरह की वेबसाइट से आपको बचा लेता है लेकिन एक बार गलती से फस गए तो कोई भी बचा नहीं पाएगा।
उदाहरण के लिए अगर कोई पायरेटेड मूवी आपने .com, .in, .xyz, इत्यादि वाले डोमेन पर अपलोड कर दी तो कम्प्लेन होते ही वो साइट या होस्टिंग बंद हो जाएगी। लेकिन .onion हैकर्स के खुद के कंप्यूटर में होस्ट होती है और पीर टू पीर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है। इसलिए इसे बंद कर पाना मुमकिन नहीं है।
पीर-टू-पीर वो टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल टोरेंट में फाइल फ़्रांसफर या डाउनलोड करने के लिए किया जाता है।
Hidden Wiki क्या है?
अपने विकिपीडिया का नाम सुना होगा और आप में से ही काफी सारे लोग विकिपीडिया पर आर्टिकल भी पढ़ते होंगे। विकिपीडिया एक फ्री encyclopedia है जहा पर लगभग सभी तरह के आर्टिकल मिल जाता है।
ठीक उसी तरह है हिडन विकी डार्क वेब की encyclopedia है जहाँ पर आपको डार्क वेब में होने वाले सभी कामो की लिस्ट मिल जाती है .onion डोमेन के साथ। जैसे की हम हथियार कहा से ख़रीदे, ड्रग्स कहा से ख़रीदे, हैकर कहा से किराए पर ले, कहा फ़ोन की नकली कॉपी बनवाए, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डुप्लीकेट कॉपी कहाँ से बनवाए, इसके अलावा और भी बहुत कुछ है।

यहाँ पर ऐसे ऐसे काम होते है जो अपने कभी सोचे भी नहीं होंगे। इसे अनियन सर्विस और हिडन सर्विस दोनों ही नामो से जाना जाता है।
इसके मुख्य पेज पर सभी हिडन सर्विसेज डायरेक्टरी दी हुई है लिंक के साथ, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, कॉन्ट्रैक्ट मर्डर, किराए पर साइबर हमले, खरनाक केमिकल और बम बनाने के तरीके बताने वाली लिंक शामिल हैं। हालाँकि की इनके अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी और दूसरी गलत गतिविधियो वाली लिंक भी शामिल है।
इसकी शुरुवात 2000 में हुई थी। Google या DuckDuckGo या किसी दूसरे सर्च इंजन पर अगर आप हिडन विकी के बारे में सर्च करेंगे तो काफी सारी साइट्स मिल जाएगी लेकिन वो ओरिजिनल हिडन विकी नहीं होगी। क्यूंकि ओरिजिनल हिडन विकी .onion डोमेन पर बनी हुई है जिसका लिंक https://zqktlwiuavvvqqt4ybvgvi7tyo4hjl5xgfuvpdf6otjiycgwqbym2qad.onion.pet/wiki/index.php/Main_Page है और ये केवल टोर ब्राउज़र पर ही खुलेगी बाकि किसी भी ब्राउज़र पर नहीं चल पाएगी।
डार्क वेब में क्या-क्या होता है?
- डार्क वेब में सभी तरह के हथियार बेचे और खरीदे जाते है। जैसे बन्दुक, मशीन गन, बोम, इत्यादि।
- सभी तरह के ड्रग्स ऑनलाइन बेचे जाते है।
- सभी तरह की लेन देन बिटकॉइन या दूसरी क्रिप्टोकरन्सी में होती है।
- डार्क वेब पर लड़कियों को, छोटे बच्चो को ख़रीदा और बेचा जाता है।
- इंसानो के सभी तरह के अंग को बेचा और ख़रीदा जाता है।
- हैकर्स को साइबर क्राइम करने के लिए हायर भी किया जाता है।
- किसी का भी नकली पासपोर्ट, क्रेडिट या डेबिट कार्ड, या किसी तरह का नकली डॉक्यूमेंट तैयार कैसे करे उसकी जानकारी भी है साथ ही कहा पर कौन लोग ऐसा काम करते है ये जानकारी भी है।
- सरकारी या प्राइवेट सभी तरह के ख़ुफ़िया डॉक्यूमेंट डार्क वेब पर हर दिन बिकते है।
- यहाँ तक की Amazon, Flipkart, BigBasket जैसी कई बड़ी कंपनियों पर साइबर अटैक होते है और यूजर का डाटाबेस चुरा लिया जाता है। उस डाटाबेस की जानकारी या कहु की आपकी लॉगिन डिटेल भी वहा पर बेचीं और खरीदी जाती है।
- लाइव मर्डर करके दिखाया जाता है। साथ ही लाइव शो होता है जहा पर लाइव मर्डर, हाथ काटना, गाला काटना, पैर काटना जैसी कई चीजे दिखाई जाती है।
- Money Laundering (कला धन को कैसे वैध बनाया जाए) भी की जाती है।
- आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा भी यही से मिलता है।
- किसी को मारने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर को हायर भी कर सकते है।
- मोबाइल या सिम कार्ड की डुप्लीकेट कॉपी भी बनाई जाती है।
- कंप्यूटर वायरस बना कर कैसे उसे दुसरो के कंप्यूटर में इंजेक्ट करना है, इस तरह के सभी गलत काम डार्क वेब की दुनिया में किया जाता है।
इसीलिए इसे इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड या इंटरनेट का काला बाजार या फिर डार्कनेट मार्किट या अनियन लैंड भी कहा जाता है भी कहा जाता है।
डार्क वेब और डार्कनेट में क्या अंतर है?
वर्ल्ड वाइड वेब का वो हिस्सा जो सर्च इंजन में इंडेक्स नहीं किया जाता है, डीप वेब कहलाता है। ग्लोबल नेटवर्क का वो हिस्सा जिसे सर्च इंजन या कोई नार्मल ब्राउज़र एक्सेस नहीं कर सकता है और उसे एक्सेस करने के लिए स्पेशल ब्राउज़रों की जरुरत होती है, डार्क वेब कहलाता है। डार्क वेब पर इस्तेमाल की जाने वाली सभी वेबसाइटों के कलेक्शन को डार्कनेट कहा जाता है। जितनी भी साइट .oinon डोमेन से बानी होती है वो सभी डार्कनेट का ही हिस्सा होती है।
क्या डार्कनेट या डार्क वेब को एक्सेस करना गैरकानूनी है?
डार्कनेट या डार्क वेब को ब्राउज़ करना कोई अपराध नहीं है, जानकारी लेने के लिए आप डार्क वेब, डीप वेब, या फिर डार्कनेट को ब्राउज़ कर सकते हो। लेकिन ब्राउज़िंग के अलावा कुछ भी गलत करते हो, जैसे कि डार्क वेब से कुछ भी खरीदना (हथियार, ड्रग्स, ह्यूमन बॉडी पार्ट्स, इत्यादि), या फिर डार्कनेट की किसी भी सर्विस को खरीदते हो तो वो गैरकानूनी गतिविधियो में आ जाता है।
ये तो सब ही जानते है की अगर किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधियां होने पर सर्कार या पुलिस आप के ऊपर एक्शन ले सकती है जो सभी देशो पर लागु होता है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, ड्रग्स, हथियार, लोगों के अंग, या उन्हें हैक करने जैसा कुछ भी करना या खरीदना गैरकानूनी है। साथ ही ऐसे सामान और सेवाओं का व्यापार करने वाले सभी लोग कानून का भी उल्लंघन कर रहे हैं।
जब तक आप किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते और कोई भी गैरकानूनी काम नहीं करते है तो आपको घबराने की जरुरत नहीं है, आप बिलकुल सुरक्षित है। ऐसा जरूरी नहीं की सभी .onion साइट गैर कानूनी होती है कुछ लीगल साइट भी होती है जैसे की फसबूक, फोरम, मेगा टोर, इत्यादि जो की अनियन में ही बानी होती है।
डीप वेब और डार्क वेब क्यों मौजूद हैं?
डीप वेब में वो साइट्स आती जो प्राइवेट होती है या फिर अपनी वेबसाइट के कुछ पेज किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहते है। इसमें सरकारी वेबसाइट, मिलिट्री, बैंक, प्राइवेट कंपनी की कोई साइट या उस साइट का कोई पेज हो सकता है जो वो केवल अपने कर्मचारी के साथ ही शेयर करती है।
डीप वेब में ये सब इसलिए इंडेक्स नहीं किये जाते है क्यूंकि वो उस आर्गेनाइजेशन या सरकार की कोई प्राइवेट जानकरी स्टोर करती है या फिर कोई सीक्रेट फाइल या पेज हो सकता है। जो सिर्फ उस कंपनी या सरकार के ही काम का हो।
इसलिए कई बार इस तरह की साइट या पेज पर लॉगिन ID और पासवर्ड की भी जरुरत होती है। आमतौर पर डीप वेब की सीटों के बारे तभी किसी भी व्यक्ति को तभो मालूम चलेगा जब वो लिंक उसके साथ शेयर (ईमेल, मैसेज, चैट या किसी दूसरे माध्यम से) की जाएगी।
डार्क वेब में आप पूरी तरह से प्राइवेट और गुमनाम हो कर काम कर सकते है। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा की कौन सा व्यक्ति क्या काम कर रहा है। यहाँ तक की कोई आपको ट्रैक भी नै कर सकता। क्यूंकि ट्रैक करने पर उसके पास प्रॉक्सी सर्वर की IP डिटेल ही जाएगी।
कुछ लोग इंटरनेट पर पूरी तरह से प्राइवेट हो कर काम करना चाहते है। वो नहीं चाहते की किसी भी कंपनी या व्यक्ति को उसके काम के बारे में कुछ भी पता चले। इसीलिए कुछ लोगो ने मिल कर एक ऐसा ब्राउज़र बनाया जिस पर आपको कभी कोई ट्रैक कर ही नहीं पाएगा और आप आराम से अपना काम कर सकते है। जिसे हम TOR प्रोजेक्ट के नाम से जानते है।
हालाँकि बाद में हैकर्स ने इसका गलत इस्तेमाल करना शुरूकर दिया और तभी से डार्क वेब का जन्म हुआ। जहा सभी तरह के इलीगल काम होते है।
डार्क वेब को कैसे एक्सेस करे?
ये सवाल आपके मन में भी आ रहा होगा की कैसे हम डार्क वेब तक पहुंच सकते है?
डार्क वेब को एक्सेस हम केवल TOR Browser के जरिए ही कर सकते है। क्युकी इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी साइट .onion डोमेन का इस्तेमाल करती है और .onion साइट केवल TOR पर ही चलती है। इसका इस्तेमाल नार्मल ब्राउज़र पर नहीं कर सकते है।
TOR पर आप अपनी पहचान या IP छुपा कर सर्फिंग करते हो इसका ये मतलब नहीं है की TOR को हैक नहीं किया जा सकता है। जैसे आपको पता है TOR के बारे में वैसे ही हैकर्स भी उसके बारे काफी अच्छे से जानते है और ये भी पता है की कैसे TOR को हैक करके किसी की रियल IP एड्रेस पता लगाए।
इसलिए मेरी सलाह यही होगी की अगर आप कभी भी onion साइट को इस्तेमाल करते है तो VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का इस्तेमाल जरूर करे ताकि आप सुरक्षित रहे साथ ही किसी भी पर्सनल अकाउंट को टोर ब्राउज़र पर कभी भी लॉगिन ना करे।
Step 1: किसी भी एक सिक्योर VPN को इनस्टॉल करे और फिर उसे चालू कर दे।
Step 2: अब TOR Browser को डाउनलोड करे और उसे इनस्टॉल करे। ध्यान रहे टोर को हमेसा उसकी ऑफिसियल वेबसाइट से ही डाउनलोड करे।
Step 3: टोर को इनस्टॉल करने के बाद उसे ओपन करे। ये बिलकुल आपके नार्मल ब्राउज़र की तरह ही है और वैसे ही काम करता है।
Step 4: टोर ब्राउज़र को खोलने के बाद आपको उसे कनेक्ट करना होगा ताकि वो अपने सर्वर से कनेक्ट हो जाए।
Step 5: अब अनियन URL को एड्रेस बार में कॉपी पास्ट करे या टाइप करे और एंटर बटन को दबाए। जिस तरह से आप क्रोम, फायरफॉक्स या दूसरे ब्राउज़र पर वेबसाइट खोलते और काम में लेते है इसमें भी वही प्रोसेस है।
अब आप अनियन लैंड में एंटर हो चुके है। वैसे तो TOR का इस्तेमाल आप बिना VPN के भी कर सकते है। लेकिन किसी onion साइट ने TOR को हैक करके आपका असली IP एड्रेस पता कर लिया तो फिर वो हैकर आपको ट्रैक कर सकता है या सिस्टम को हैक कर सकता है, तब प्रॉब्लम हो जाएगी।
अगर आप VPN इस्तेमाल करके फिर टोर ब्राउज़र को खोलेंगे तब आपकी असली IP सुरक्षित रहेगी। क्युकी अगर किसी हैकर ने टोर को हैक कर भी लिया तब भी उसे आप तक पहुँचने के लिए VPN सिक्योरिटी को भी पर करना होगा।
हालाँकि टोर खुद 3 सर्वर का इस्तेमाल करता है उसके अलावा VPN का एक सर्वर हो जाएगा यानि की हर बार जब भी कोई वेबसाइट खोलेंगे तो उसे 4 सर्वर से होकर फिर अपने पास ब्राउज़र में लोड होना होगा तब आप उस साइट को देख या एक्सेस कर पाएँगे। इतने सारे सर्वर से हो कर आने की वजह से साइट थोड़ी धिरे खुलेगी।
इस आर्टिकल के अंत में बस यही कहना चाहूंगा की डार्क वेब, डार्क नेट, ऑनलाइन काला बाजार जैसे सभी चीजों से आप जितना दूर रहेंगे उतना ही आप सुरक्षित रहेंगे।
अगर आप किसी से बदला लेने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करने की सोच भी रहे है तो ऐसा न करे क्यूंकि आप किस को पैसे देंगे ये आपको भी नहीं पता होगा।दूसरी बात इसकी कोई गारंटी नहीं है की वो व्यक्ति पैसे लेने के बाद आपका काम करेगा।
अगर आप किसी प्रोजेक्ट रिसर्च के लिए जानकारी इक्क्ठा कर रहे तब तो ठीक है लेकिन किसी गलत इरादे से डार्क वेब के बारे में सर्च कर रहे है तो बताना चाहूंगा की हमारी सरकार, ISP और पुलिस की नजर हमारी सभी ऑनलाइन गतिविधि पर है।
मैं एक बार फिर से यही कहूंगा की आप इंटरनेट के इस काली दुनिया से दूर ही रहे और अनियन वेबसाइट पर जाने की गलती न करे क्या पता वो वेबसाइट आपको ही ट्रैक कर ले या आपके सिस्टम में किसी तरह का वायरस या मैलवेयर इनस्टॉल कर दे।
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मेरा नाम धर्मेंद्र मीणा है, मुझे तकनीक (कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन्स, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, इत्यादि) से सम्बन्धी नया सीखा अच्छा लगता है। जो भी में सीखता हु वो मुझे दुसरो के साथ शेयर करना अच्छा लगता है। इस ब्लॉग को शुरू करने का मेरा मकसद जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक हिंदी में पहुंचना है।