हम सभी ने सर्वर के बारे में सुना है। जब भी आप अपने स्कूल, कॉलेज, सरकारी नौकरी आदि के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरते हैं, तो कई बार सर्वर नहीं चल रहा होता है, सर्वर डाउन हो जाता है, सर्वर लोड नहीं ले पा रहा है, इत्यादि समस्या के बारे में सुना ही होगा।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह सर्वर क्या होता है और कैसे काम करता है?
आज के इस युग में, हर कोई ज्यादातर ऑनलाइन एक दूसरे से जुड़ा रहता है। चाहे फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, या कोई दूसरी वेबसाइट हो, हर किसी को अपनी वेबसाइट चलाने के लिए एक सर्वर की जरुरत होती है, कोई भी वेबसाइट बिना सर्वर के नहीं चल सकती।
सर्वर हर वेबसाइट को चलाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। तो चलिए समय बर्बाद न करते हुए आगे बढ़ते है।
सर्वर क्या होता है?
एक सर्वर वास्तव में एक बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर होता है, लेकिन सर्वर उस तरह का कंप्यूटर नहीं है जिसे आप रोजाना इस्तेमाल करते हैं।
जैसे आपका कंप्यूटर आपके द्वारा सेव की गई फ़ाइलों और डेटा को स्टोर करता है, उसी तरह सर्वर भी सभी वेबसाइटों के डेटा को स्टोर करता है और वेबसाइट को होस्ट भी करता है और सभी कंप्यूटर, मोबाइल और बाकी डिवाइस के साथ उस जानकारी को शेयर भी करता है।
आपके पर्सनल कंप्यूटर को इंसानों के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन सर्वर को दूसरे कंप्यूटर और डिवाइस के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए बनाया गया है।
सरल भाषा में कहूँ तो, सर्वर एक कंप्यूटर या सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हो सकता है, जो क्लाइंट (मोबाइल, कंप्यूटर, या कोई मशीन जो जानकारी लेने के लिए सर्वर को रिक्यूएस्ट करता है वो क्लाइंट कहलाता है) के साथ सर्विस, रिसोर्स, डाटा या प्रोग्राम शेयर करता है।
सर्वर कैसे काम करता है?
हमारा वेब ब्राउज़र सबसे पहले IP एड्रेस को डोमेन नाम (जैसे, इस पृष्ठ के लिए डोमेन नाम www.taknikigyan.in है) प्राप्त करता है। IP एड्रेस का पता लगाने के लिए DNS (Domain Name System) का इस्तेमाल करता है।
नोट: जब भी कोई वेबसाइट पहली बार बनाई जाती है तो उसे IP एड्रेस असाइन किया जाता है।
IP एड्रेस जानने के बाद, ब्राउज़र अब वेब सर्वर से पूरी URL की मांग करता है और फिर उसे सर्वर पर भेजता है।
वेब सर्वर उस पेज या फाइल को भेजकर ब्राउज़र को जवाब देता है, और अगर पेज मौजूद नहीं होता हैं या कोई एरर आती है, तो वो एरर मैसेज भेजेगा।
उदाहरण के लिए:
आपने कई बार जब कोई वेब पेज ओपन करते है तो 404 एरर देखा होगा, जिसका मतलब होता है वो वेब पेज या फाइल सर्वर पर अब मौजूद नहीं है।
दूसरा एरर आमतोर पर 401 देखा जाता है। जब हमारे द्वारा दिए गए यूजरनाम या पासवर्ड गलत होने से सर्वर एक्सेस देने से मन कर देता है।
अंत में ब्राउज़र वेब पेज को दिखाएगा है या फिर एरर दिखाएगा।
अगर संक्षेप में कहुँ, तो ब्राउज़र किसी वेब पेज या फाइल की रिक्यूएस्ट सर्वर को भेजता है और सर्वर उसी फाइल या वेब पेज को ढूंढ़ता है और ब्राउज़र को वो फाइल भेज देता है।
सर्वर के प्रकार (Types of server)
कई प्रकार के सर्वर हैं जो की अलग-अलग कार्य करते हैं।
1. File Servers: ये फाइल को स्टोर और शेयर करने के काम आता है। इसे इस हिसाब से बनाया जाता है जिससे कि हार्डवेयर की परफॉरमेंस बेहतर बन सके, साथ ही पढ़ने और लिखने में भी आसान रहे।
2. Application Server: ये एप्लीकेशन को ऑनलाइन चलाने में मदद करता है। इससे किसी भी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को इनस्टॉल करने की जरुरत नहीं होती है। इसका इस्तेमाल हम वेब ब्राउज़र पर कर सकते है। हमे बार बार अलग अलग कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल नहीं करना पड़ता।
उदाहरण के लिए ऑनलाइन फोटो एडिटिंग साइट्स, ऑनलाइन वीडियो एडिटिंग साइट्स, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इत्यादि।
3. Catalog Server: ये नेटवर्क में पाई जाने वाली जानकारी जैसे कि कंप्यूटर, यूजर, फ़ाइल सर्वर पर शेयर की गई फ़ाइलें, और वेब ऐप को इंडेक्स करके रखता है। डायरेक्टरी सर्वर और नाम सर्वर, कैटलॉग सर्वर के उदाहरण हैं।
सरल भाषा में, सभी फाइल या जानकरी की एक लिस्ट बना कर रखी जाती है, ताकि जब जरुरत पड़े तो वहा से उसे हासिल किया जा सके। उन सब को संभाल कर रखना और शेयर करना कैटलॉग सर्वर का काम होता है।
4. Communication Server: दो या अधिक डिवाइस के बिच होने वाले कम्युनिकेशन को जिस तरह के वातावरण की जरुरत होती है ये उसे बनाए रखता है और आपस में कम्यूनिकेट करने देता है।
5. Computing Server: कई बार कुछ ऐसे काम होते है जिस के लिए हमे ऑनलाइन रिसोर्सेज कि जरुरत होती है। ये हमे वही सारे ऑनलाइन रिसोर्सेज देता है। खासतोर पर CPU और RAM।
6. Database Server: ये डेटाबेस को सँभालते है और उसमे जो जानकारी होती उसे शेयर करते है।
7. Fax Server: एक या एक से अधिक फैक्स मशीनों को नेटवर्क पर शेयर करता है।
8. Game Server: गेम खेलने के लिए कई डिवाइस या कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है और ऑनलाइन गेम खेलने देता है।
9. Mail Server: आपने ईमेल कई बार भेजा या आपके पास आया होगा, ये उन्ही सब ईमेल को स्टोर और भेजने का काम करता है।
10. Media Server: मीडिया स्ट्रीमिंग के माध्यम से ऑनलाइन डिजिटल ऑडियो या वीडियो को शेयर करता है साथ ही साथ फाइल को डाउनलोड करने का भी ऑप्शन देता है। ये ऑडियो और वीडियो फाइल को संभालता है।
11. Print Server: एक या एक से अधिक प्रिंटर को ऑनलाइन शेयर करता है आर्गेनाइजेशन में, जिससे अलग अलग प्रिंटर खरीदने की जरुरत नहीं होती है। प्रिंटर सर्वर ज्यादातर प्रिंटर में पहले से ही होता है।
12. Proxy Server: क्लाइंट और सर्वर के बीच एजेंट के रूप में काम करता है, क्लाइंट से आने वाले ट्रैफ़िक को एक्सेपट करता है और इसे सर्वर पर भेजता है। ऐसा करने से कंटेंट पर कंट्रोल और फ़िल्टरिंग, ट्रैफ़िक परफॉरमेंस में सुधार, unauthorized नेटवर्क एक्सेस को रोकना है।
13. Virtual Server: ये एक ऐसा सर्वर होता है जो अपने फिजिकल हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर संसाधनो को शेयर करता है और इससे हाइपरवाइज़र तकनीक के जरिये एक ही सर्वर में कई वर्चुअल सर्वर बना देता है।
14. Collaboration Server: इसे ग्रुपवेयर के नाम से भी जाना जाता है। collaborative server वह है जिसके माध्यम से कई यूजर एक दूसरे के साथ जुड़े रहते हैं, आमतौर पर एक जगह से दूसरे जगह जानकारी शेयर करने के काम आता है।
ये एक ही एप्लीकेशन को बाँट देता है जिसके जरिये सभी एजेंट एक ही लक्ष्य के लिए पर एक साथ काम करते है और जानकारी को शेयर करते है। उदाहरण के लिए ग्रुप चैट, वीडियो कॉन्फरेन्सेस, सिस्टम को रीमोटली एक्सेस करना आदि।
15. FTP Server: इसका काम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में एक या अधिक फाइलो को सुरक्षित रूप से ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
16. Real-Time Communications Server: इसे पहले चैट सर्वर या IRC सर्वर के रूप में जाना जाता था, और अभी भी कभी-कभी इंस्टेंट मैसेजिंग (IM) सर्वर के रूप में जाना जाता है।
रियल-टाइम कम्युनिकेशन एक ऐसा फंक्शन है जो डिवाइस को पीयर-टू-पीयर मेथड का उपयोग करते हुए डाटा ट्रांसमिशन में देरी किये बिना रियल टाइम में कम्युनिकेशन करने देता है।
उदाहरण के लिए इंटरनेट, लैंडलाइन, मोबाइल, इंस्टेंट मैसेजिंग (IM), इंटरनेट रिले चैट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीकांफ्रेंसिंग और रोबोट टेलिफ़रेन्स शामिल हैं।
17. Web Server: वेब सर्वर एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो वेबपेज सर्व करता है। जो सॉफ्टवेयर वेब पेज को यूजर तक पहुंचाता है वो वेब सर्वर कहलाता है । आमतौर पर वेब पेज HTTP प्रोटोकॉल द्वारा यूजर तक पहुंचाए जाते है।
सर्वर डाउन क्यों होता है?
एक सर्वर का काम होता है मांगी गयी जानकारी को देना लेकिन जब वो ये काम नहीं कर पाता है या किसी कारण से वो जानकारी नहीं दे पता है, तब कहते है की सर्वर डाउन हो गया है।
इसका मतलब की आप किसी वेबसाइट पर जो काम करना चाहते हैं या जो जानकारी देखना चाहते है इस समय सर्वर वो जानकारी आपको देने में असमर्थ है।
सर्वर डाउन होने के कई कारण हो सकते हैं, निचे कुछ कारण बताए हुए है:
- सभी सर्वर की ट्रैफिक हैंडल की एक क्षमता होती है, अगर ट्रैफिक सर्वर पर उसकी क्षमता से अधिक हो जाता है तब सर्वर क्रैश हो जाता है। जिसे हम सर्वर डाउन भी कह सकते है।
- सर्वर को भी काम करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी और इंटरनेट की जरुरत पड़ती है, और जब इंटरनेट कनेक्टिविटी या पावर सप्लाई नहीं होती है, तब ये काम नहीं कर पाते है।
- हैक या DDoS अटैक होने से भी कई बार सर्वर डाउन हो जाता है।
- अगर सर्वर पर कोई मेंटेनेंस का काम चल रहा हो तब भी आप उसकी सर्विस को काम में नहीं ले पाएंगे। जिसे हम सर्वर डाउन भी कह सकते है।
इसके अलावा और भी कई कारणों से सर्वर डाउन हो जाता है लेकिन ये कुछ कॉमन कारण है।
डेडिकेट और नॉन डेडिकेटेड सर्वर क्या होता है और दोनों में क्या अंतर है?
डेडिकेटेड सर्वर (Dedicated Server) | नॉन डेडिकेटेड सर्वर (Non-Dedicated Server) |
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डेडिकेटेड सर्वर वो सर्वर होता है जो केवल आपकी ही वेबसाइट होस्ट करता है और सभी रिसोर्सेज, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर सिर्फ उसी वेबसाइट या आर्गेनाइजेशन के लिए होते है। | नॉन डेडिकेटेड सर्वर वो सर्वर होता है जिसका इस्तेमाल सभी लोग करते है और इसके सभी रिसोर्सेज, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर दुसरो के साथ शेयर होते है। इसे हम शेयरड होस्टिंग के नाम से भी जानते है। |
ये केवल आपकी ही आर्गेनाईजेशन या फिर वेबसाइट के लिए होता है। इसे कोई दूसरा काम में नहीं ले सकता। इसलिए इसमें स्पीड काफी अच्छी होती है। | ये दुसरो के साथ शेयर होता है, इसलिए ये धीरे चलता है। |
इसमें खुद का डेडिकेटेड IP एड्रेस होता है। | एक ही सर्वर पर कई सारी वेबसाइट होस्ट होती है इस लिए सभी वेबसाइट का IP एड्रेस भी एक ही होता है। |
इसके प्लान्स काफी महनगे होते है। | इसके प्लान्स काफी सस्ते होते है। |
अगर वेबसाइट पर विजिटर ज्यादा आते है, तो ये उसके लिए काफी बेहतर ऑप्शन है। | अगर कोई नई वेबसाइट है और विजिटर कम है, तो ये उसके लिए काफी बेहतर ऑप्शन है। |
लिनक्स और विंडो सर्वर में क्या अंतर है?
लिनक्स और माइक्रोसॉफ्ट विंडोज मार्केट में दो मुख्य वेब-होस्टिंग सर्विस हैं।
लिनक्स एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर सर्वर है, जो विंडोज सर्वर की तुलना में काफी सस्ता और आसानी से काम लिया जा सकता है। विंडोज Microsoft का प्रोडक्ट है जो Microsoft ने पैसे कमाने के लिए डिज़ाइन किया है।
लिनक्स आमतौर पर स्टार्ट-अप कंपनियों की पसंद है जबकि माइक्रोसॉफ्ट आमतौर पर बड़ी कंपनियों की पसंद है।
ज्यादातर कंपनी VPS (वर्चुअल प्राइवेट सर्वर) का इस्तेमाल करती है। लिनक्स और माइक्रोसॉफ्ट विंडोज दोनों ही VPS होस्टिंग सर्वर प्रदान करते हैं। VPS एक ही सिस्टम में कई सारे सर्वर बनाता है और उसे संभालता है।
लिनक्स और विंडोज सर्वर में अंतर:
Linux Server | Windows Server |
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ये एक ओपन सोर्स है इसलिए कम खर्चे में मिल जाता है। | ये माइक्रोसॉफ्ट का प्रोडक्ट है इसलिए इसका खर्चा लिनक्स के मुकाबले ज्यादा होता है। इसमें लाइसेंस खरीदना पड़ता है। |
लिनक्स और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर आमतौर पर कम रिसोर्सेज का उपयोग करते हैं, जिससे सिस्टम ज्यादा अच्छे से काम कर पाता है। | विंडोज लिनक्स के मुकाबले अधिक रिसोर्सेज का उपयोग करता है। |
लिनक्स सर्वर और सॉफ्टवेयर को आसानी से अपनी जरूरत के हिसाब से मॉडिफाइड किया जा सकता है। | विंडोज प्रोडक्ट में मॉडिफिकेशन के लिए आमतौर पर सर्वर के नए वर्जन का इंतजार करना पड़ता है। |
लिनक्स के लिए आपको प्रोग्रामिंग आनी जरूरी है, तभी उसे अपने हिसाब से फेरबदल कर सकते है। | विंडोज के लिए प्रोग्रामिंग एक्सपर्ट होने की जरुरत नहीं है, क्युकि ये ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस देता है। जिससे यूजर आसानी से अपने सारे काम कर सकता है। |
अगर लिनक्स में देखा जाए तो सभी तकनीकी काम आपको खुद ही करना पड़ता है। इसमें टेक्निकल एक्सपर्ट की जरुरत पड़ती है। | विंडोज सर्वर पैकेज में तकनीकी सपोर्ट के साथ आता है। |
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मेरा नाम धर्मेंद्र मीणा है, मुझे तकनीक (कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन्स, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, इत्यादि) से सम्बन्धी नया सीखा अच्छा लगता है। जो भी में सीखता हु वो मुझे दुसरो के साथ शेयर करना अच्छा लगता है। इस ब्लॉग को शुरू करने का मेरा मकसद जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक हिंदी में पहुंचना है।
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